निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना
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सही पथ पर कैसे बने रहें
पीपा और मुझे लंबी दूरी तक पैदल चलना अच्छा लगता है (बल्कि मुझे ज्यादा दूर जाना अच्छा लगता है और उसे थोड़ी दूर जाना अच्छा लगता है – इसलिए हम मध्यम दूरी तक जाने के लिए समझौता कर लेते हैं!). ज्यादा समय नहीं हुआ, हम साउथ डाउन्स में काफी दूर चले गए थे. हम में से किसी को भी दिशा की ज्यादा जानकारी नहीं थी और हम नक्शा साथ ले जाना भी भूल गए थे. किसी तरह से हम सही मार्ग पर पहुँच गए और अंत में किसी के खेत में पहुँचे.
यह साल के सबसे छोटे दिनों में से एक था और जल्दी ही रौशनी धुंधली होने लगी. ऐसा लगा कि जहाँ पर हमने अपनी कार पार्क की थी वहाँ पर जाने के लिए हमें एक खेत को पार करना पड़ेगा जहाँ पर गायों का एक बड़ा झुंड था. जब हम उनके पास पहुँचे, तो उनमें से कुछ ने हमें मित्रवत तरीके से घेर लिया, और हमारा रास्ता रोक दिया, जबकि कुछ गायें डर के मारे खेत में इधर उधर भागने लगीं.
हम ने यकीन कर लिया था कि हमें गायों को खदेड़ते हुए कींचड़ के ढेर में से होकर गुजरना पड़ेगा या भयभीत गायों को बाड़े में ले जाने के लिए किसी किसान को क्रोधित करना पड़ेगा. हमने काफी ढलान वाले और फिसलन वाले मार्ग पर से तेजी से निकलने का फैसला किया. पीपा को ज्यादा दूर चलने की इच्छा की, अंधेरा बढ़ रहा था और सही मार्ग पर आने का कोई उपाय नजर नहीं आ रहा था. चीजें अच्छी नजर नहीं आ रही थीं.
शुक्र है, किसी तरह से हम सही मार्ग पर वापस आ गए. बड़ी राहत मिली. हमने सोच लिया कि भविष्य में हम हमेशा नक्शा और छ्ड़ी अपने साथ रखेंगे. सही मार्ग पर बने रहने से यह हमें विश्राम करने, एक दूसरे से बातें करने और सामन्य रूप से अपने संबंधों के लिए बेहतर साबित होता है!
बाइबल में, परमेश्वर के मार्ग का उपयोग कई बार किया गया है: वह मार्ग जो जीवन की ओर ले जाता है.
भजन संहिता 17:1-5
परमेश्वर के मार्ग पर बने रहने का निर्णय लें
दाऊद कहता है, ‘मेरे पांव तेरे पथों में स्थिर रहे, फिसले नहीं’ (व.5अ). पथ के लिए इब्रानियों में इस शब्द का अर्थ ‘पटरी’ (व्हील ट्रैक्स) है. दाऊद परमेश्वर के पथ पर बने रहने के लिए दृढ़ संकल्पित है. परमेश्वर के पथ पर बने रहने के लिए आपको इन्हें जाँचना जरूरी है:
आपका हृदय (आप क्या सोचते हैं)
· ‘तू ने मेरे हृदय को जांचा है; तू ने रात को मेरी देखभाल की, तू ने मुझे परखा परन्तु कुछ भी खोटापन नहीं पाया’ (व.3अ).
आपके शब्द (आप क्या कहते हैं)
· ' मैं ने ठान लिया है कि मेरे मुंह से अपराध की बात नहीं निकलेगी' (व.3क).
आपके पाँव (आप किन जगहों पर जाते हैं)
· ' मेरे पांव तेरे पथों में स्थिर रहे, फिसले नहीं' (व.5ब).
प्रभु मुझे अपने पथ पर बने रहने में मेरी मदद कीजिये. मेरे पांव कभी न फिसले. मुझे दिन रात अपने विचारों को जाँचने में मेरी मदद कीजिये. मैं जो कुछ भी कहूँ या करूँ उसमे आपके विरूद्ध कोई पाप न करने में मेरी मदद कीजिये.
मत्ती 19:1-15
अपने संबंधों में परमेश्वर के पथ पर बने रहे
आपके खुद के जीवन के लिए और समाज के लिए संबंधों पर यीशु की शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है.
विवाह का महत्व
· फरीसियों ने यीशु से तलाक के बारे में पूछा, लेकिन उन्होंने विवाह के बारे में उत्तर देते हुए कहा. वह सृष्टि का उल्लेख करते हैं. यीशु उत्पत्ति 2:24 से कहते हैं, यह बताते हुए कि, ‘इस कारण पुरूष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक तन बने रहेंगे’ (मत्ती 19:5). उत्पत्ति का यह वचन विवाह के लिए मूल योजना है – केवल पुराने नियम में और पौलुस के द्वारा ही नहीं (इफीसीयों 5:31), बल्कि स्वयं यीशु के द्वारा भी.
· विवाह में सार्वजनिक व्यवस्था शामिल है, जिसमें आप अपने साथी से पूरे जीवन के लिए प्रतिज्ञा करते हैं जो कि माता-पिता के साथ आपके संबंधों से ज्यादा प्रधान है. इसमें एक ही जीवन साथी के साथ ‘जुड़े रहना’ शामिल है – इब्रानी में इस शब्द का अर्थ है एकसाथ ‘चिपके रहना’ – केवल शारीरिक और जैविक रीति से ही नहीं, बल्कि भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आत्मिक तौर से भी. यह ‘एक-तन’ होने का मसीही प्रसंग है. विवाह का बाइबल आधारित सिद्धांत सबसे रोमांचक और सकारात्मक है. यह सबसे रूमानी दृष्टिकोण है. यह हमारे सामने परमेश्वर की सिद्ध योजना स्थापित करता है.
तलाक में रियायत
· फरीसी तलाक के बारे में अपने प्रश्न पर जोर देते रहे. उन्होंने मूसा के निर्देशों का उल्लेख किया (मत्ती 19:7). यीशु ने यह कहकर उत्तर दिया, ‘मूसा ने तुम्हारे मन की कठोरता के कारण तुम्हें अपनी पत्नी को छोड़ देने की आज्ञा दी,’ (व.8) और ' और मैं तुम से कहता हूं, कि जो कोई व्यभिचार को छोड़ और किसी कारण से अपनी पत्नी को त्यागकर, दूसरी से ब्याह करे, वह व्यभिचार करता है: और जो उस छोड़ी हुई से ब्याह करे, वह भी व्यभिचार करता है' (व.9).
· तलाक के लिए मूसा की व्यवस्था हमें परमेश्वर की दया और करूणा की याद उन परिस्थितियों में दिलाती है जब हम उनके आदर्शों का पालन करने में उल्लंघन करते हैं. लेकिन यीशु कहते हैं कि तलाक कभी भी मान्य नहीं है.
· जिन लोगों ने विवाह टूटने के दर्द का अनुभव किया है वे अपने कष्टों के बारे में आज के पुराने नियम के पद्यांश में से याकूब के दु:खों का वर्णन सही पाएंगे. खुद के और दूसरों के विवाह को बचाए रखने के लिए हमें जितना संभव हो सके प्रयास करना चाहिये और जिनका तलाक हो गया है उन्हें ज्यादा से ज्यादा तसल्ली देनी चाहिये (ना कि एलीपज की तरह दोष लगाना चाहिये).
कुँआरेपन के लिए बुलाहट
· यीशु तीन तरह के कुँआरेपन (अकेलेपन) के बारे में बताते हैं. पहला, आनुवांशिक - ‘जो माता के गर्भ ही से ऐसे जन्मे’ (व.12अ). अनैच्छिक कुँआरापन (व.12ब). – ‘जिन्होंने कभी नहीं चाहा – नहीं अपनाया’ (एमएसजी). तीसरा, ऐच्छिक कुँआरापन – जिन्होंने स्वर्ग राज्य के लिए अपने आपको कुँआरा बनाया है (व.12क, एमएसजी). कुँआरापन स्थायी या अस्थायी हो सकता है, लेकिन इसे नये नियम में दूसरा सबसे अच्छे के रूप में कभी भी मान्य नहीं किया गया है. विवाह और कुँआरापन दोनों उच्च बुलाहट है और नये नियम के अनुसार दोनों के फायदे और नुकसान हैं.
बच्चों को प्राथमिकता देना
· यीशु के शब्दों ने बच्चों के प्रति उस समय के कई लोगों के व्यवहार को चुनौती दी. प्राचीन काल में समाज अक्सर बच्चों को समाज के घेरे पर रखा करते थे – प्राचीन समय की ब्रिटिश कहावत का इस्तेमाल करते हुए, उन्हें इस तरह से रखा जाता था कि, ‘वे देख पाएं पर सुन न पाएं’.
· परमेश्वर का पथ बिल्कुल अलग है. यीशु अपने हाथ छोटे बच्चों पर रखकर उनके लिए प्रार्थना करते थे (व.13अ). जब शिष्यों को लगा कि बच्चों के कारण वे विचलित न हों, तो यीशु ने उनसे कहा, ‘ बालकों को मेरे पास आने दो: और उन्हें मना न करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य ऐसों ही का है’ (व.14). उन्होंने दर्शाया कि बच्चों को हमारे जीवन में ज्यादा प्राथमिकता दी जानी चाहिये.
· माता-पिता होने के नाते हमें बच्चों को प्राथमिकता देना बहुत ही महत्वपूर्ण है और यह न समझना कि उनके कारण हमारे काम में या सेविकाई में परेशानी आ रही हैं.
प्रभु, हमारी सहायता कीजिये कि हम पारिवारिक जीवन के लिए अपने खुद के जीवन में और एक समाज के रूप में आपके पथ से भटक न जाएं.
अय्यूब 4:1-7:21
परमेश्वर के पथ पर बनें रहने में दूसरों की मदद करें
मैं अपने दोस्तों का बहुत आभारी हूँ जिन्होंने मुझे सही पथ पर बने रहने में मदद की. हालाँकि, कभी-कभी हमारे दोस्तों में गलतफहमी होना और चीजों को गलत समझना संभव है. इस पद्यांश में हम एक विपरीत स्थिति को देखते हैं जिसमें अय्यूब अपने दोस्तों को सही पथ पर बने रहने में मदद करता है (4:3-4) और एलीपज जो याकूब के लिए फायदेमंद साबित नहीं हुआ (6:21).
कभी-कभी लोग पूछते हैं, ‘क्या बाइबल में हर एक शब्द सत्य है?’ मेरा जवाब हमेशा ‘हाँ; होता है, लेकिन अन्य पुस्तकों की तरह इस पुस्तक का भी अर्थ समझना जरूरी है. अर्थ निकालने का एक नियम यह है कि हमें प्रसंग के अनुसार अर्थ निकालना चाहिये.
इस पद्यांश में आज हम अय्यूब के मित्र एलीपज के शब्दों को पढ़ेंगे. हमें इन शब्दों की इस सच्चाई के प्रकाश को पढ़ना जरूरी है कि अंत में प्रभु ने तेमानी एलीपज से कहा, ‘मेरा क्रोध तेरे और तेरे दोनों मित्रों पर भड़का है, क्योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अय्यूब ने मेरे विषय में कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही’ (42:7). इस पद्यांश में हम जो शब्द पढ़ते हैं वह सही नहीं है. कष्ट के मामले में अय्यूब के दोस्तों ने काफी साधारण उत्तर दिया. उनका निदान अक्सर सीधा-सादा, धर्मपरायण, और अवास्तविक रहता था.
दूसरी तरफ अय्यूब, यथार्थवादी और ईमानदार था, जबकि वह दर्द, रात में नींद न आना, दु:ख और पीड़ा से जूझ रहा था. उसका दु:ख उसके कर्मों का परिणाम नहीं था जैसा कि एलीपज और उसके दोस्तों ने सुझाया था. अय्यूब खराई से पूछता है, ‘मुझे बताओं कि मैं कहाँ गलत रहा’ (6:24). परमेश्वर की आत्मा हमेशा हमें विशेष पाप के बारे में बताती है जबकि एलीपज और उसके दोस्तों ने उससे ऐसा कहा, ‘अवश्य ही तू ने ऐसे काम किये होंगे जिससे तुझ पर यह भारी दु:ख पड़ा है.’ जो दु:ख में हैं, कोई जरूरी नहीं कि वे अपने पाप के कारण इस दु:ख में पड़े हैं. यदि ऐसा होता तो परमेश्वर ने हमें यकीन दिलाया होता और उस विशेष पाप को दिखाया होता.
एलीपज और उसके दोस्तों ने सलाह दी जो कि सच्चाई और अधर्म का मिश्रण था और उनके शब्दों का सही अर्थ निकालना जरूरी है. एलीपज ने एक बात कही जो शायद सही है कि अय्यूब ने लोगों को परमेश्वर के पथ पर बने रहने में मदद की: ‘सुन, तू ने बहुतों को शिक्षा दी है, और निर्बल लोगों को बलवन्त किया है। गिरते हुओं को तू ने अपनी बातों से सम्भाल लिया, और लड़खड़ाते हुए लोगों को तू ने बलवन्त किया’ (4:3-4).
आपका काम सिर्फ पथ पर बने रहना ही नहीं है, बल्कि आपको अय्यूब की तरह, अपने कार्यों और अपने शब्दों द्वारा दूसरों की मदद भी करनी चाहिये.
प्रभु, मेरे सभी दोस्तों के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने मुझे पथ पर बने रहने में मदद की है. जो लोग दु:खी हैं उनके लिए सच में आराम पहुँचानेवाला बनने में, जो डगमगा रहे हैं, उनके लिए सहारा बनने में, और जो घुटने से लड़खड़ा रहे हैं उन्हें ताकत देने में मेरी मदद कीजिये. आपके पथ पर चलने में और आपके पथ पर बने रहने में एक दूसरे की सहायता करने के लिए आप हम सबकी मदद कीजिये.
Pippa Adds
पीपा विज्ञापन
भजन संहिता 17:1-5
मैं भजन लिखने वाले के कथनों से प्रभावित हुआ, ‘......मेरे मुंह से अपराध की बात नहीं निकली ’ (व.17:3क). इसका मतलब है कि अपने सारे शब्दों के प्रति सचेत रहें. काम के समय के बाद भी हम जो कहते हैं, वह सच में मायने रखता है.
References
नोट्स:
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
इस योजना के बारें में
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यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।
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अपने दिन Bible in One Year के साथ शुरू करें जो कि निकी और पिप्पा गंबेल की टिप्पणी के साथ लंदन के HTB चर्च से एक बाइबल पठन की योजना है।. हम इस योजना को प्रदान करने के लिए निकी और पिपा गंबेल, एचटीबी का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://alpha.org