निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना

निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल

दिन 30 का 365

क्या परमेश्वर हमारी सभी प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं?

मुझे क्रिकेट पसंद है। कम से कम मैं उसे देखना पसंद करता हूँ: मैं इसे खेलने में बिल्कुल अच्छा नहीं था। लेकिन मैं जानता हूँ कि बहुत से लोगों को क्रिकेट पसंद नहीं है और यहाँ तक कि वे उनके नियमों को भी नहीं समझते ( विशेष रुप से , यदि वे ऐसे देश में आए हों जहाँ क्रिकेट लोकप्रिय खेल ना हो)। उम्मीद है कि आप मुझे क्रिकेट की उपमा देने के लिए क्षमा करेंगे।

 

जब दो बल्लेबाज क्रिकेट पिच पर विकेटो के बीच दौड़ते हैं, तो उन्हे एक दूसरे के साथ संयोजन करके निर्णय लेना होता है कि वे दौड़ें या नहीं। एक चिल्लाते हुए दूसरे से कहता है ‘हाँ’ (इसका मतलब, ‘दौड़ो’) या ‘नहीं’ (इसका मतलब, ‘जहाँ हैं वहीं रुकें’), या ‘इंतज़ार करें’ (इसका मतलब है, ‘हम देखते हैं कि दौड़ने का निर्णय लेने से पहले क्या होता है’)। 

 

एक तरह से परमेश्वर हमारी सभी प्रार्थनाओं को सुनते हैं, वे हमारी सभी प्रार्थनाओं का उत्तर भी देते हैं। लेकिन हम हमेशा वो नहीं प्राप्त करते हैं जो हम माँगते हैं। जब हम परमेश्वर से कुछ माँगते हैं, तो उनका उत्तर ‘हाँ’ या ‘नहीं’ या ‘इंतज़ार करें’ के रूप में होता है।

 

जॉन स्टॉट लिखते हैं कि यदि हमने उनसे कुछ ऐसा माँगा है जो ‘अपने आप में अच्छा नहीं है, या हमारे लिए या दूसरों के लिए अच्छा नहीं है, तो परमेश्वर ‘नहीं’ के रूप में उत्तर देंगे, स्पष्ट रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से; तुरंत या अंत में।

 

हमें हमेशा ‘नहीं’ उत्तर का कारण पता नहीं चलता। हमें यह याद रखना चाहिये कि परमेश्वर चीज़ों को अनंत  के दृष्टिकोण से देखते हैं और कुछ चीज़ें ऐसी हैं, जिन्हें हम अपने इस जीवन में कभी समझ नहीं पाएंगे।

 

इस पथ में हम आज परमेश्वर के तीनों प्रकार के उत्तरों का उदाहरण देखेंगे। 

भजन संहिता 17:13-15

परमेश्वर कहते हैं, ‘हाँ’

 

वह पहला कौन सा कार्य है, जिसे आप सवेरे उठने के बाद करते हैं? दाऊद ने हमारे लिए उदाहरण दिया है: मेरे लिए तो ------------- मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूँ जब मैं उठकर आपके रुप को पकड़े रहूँ और आपके साथ मधुर सहभागिता करूँ। उसने प्रतिदिन परमेश्वर की खोज करना आरंभ किया और उसमें संतुष्टि को ढूँढ़ने लगा।

यह प्रार्थना करने के विषय का हृदय है। यह केवल चीजों को माँगने के बारे में नहीं हैं, यह परमेश्वर के मुख को निहारने और उनके साथ मधुर सहभागिता का आनंद लेना है।

दाऊद की विनती का यह अर्थ था कि वह अपने शत्रुओं के मुख से सहायता के लिए वह परमेश्वर की दोहाई दे रहा था (व 13-4)। परमेश्वर ने सुना और उसकी प्रार्थना का सकारात्मक उत्तर दिया, ‘हाँ’।

प्रभु, मैं धन्यवाद करता हूँ कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह संसार देता है, जिसकी तुलना ‘आपके मुख’ को देखकर मिलने वाली संतुष्टी से कर सकूँ (व. 15अ)। जब मैं प्रति दिन उठता हूँ, तो मैं आपके स्वरूप को देखकर संतुष्ट हो जाता हूँ (व. 15ब)।

मत्ती 20:20-34

परमेश्वर एक विनती के लिए नहीं कहते हैं, दूसरी विनती के लिए 'हाँ' कहते हैं

 

बील हिबल्स लिखते हैं, ‘यदि विनती गलत है, तो परमेश्वर कहते हैं, ‘नहीं’। यदि समय गलत है, तो परमेश्वर कहते हैं, ‘धीरे’। यदि आप गलत हैं, तो परमेश्वर कहते हैं ‘बढ़ो’। लेकिन यदि विनती सही है और समय भी सही है और आप भी सही हैं, तो परमेश्वर कहते हैं, “आगे बढ़ो”।

 

इस पद्यांश में हम दो विनती को देखते हैं। पहला ‘नहीं’ का उत्तर स्वीकार करता है (व. 20-28) और दूसरा ‘हाँ’ का उत्तर (व. 29-34)।

 

दो विनतियाँ

 

दोनों ही परिस्थितियों में, यीशु ने पूछा है, ‘तुम क्या चाहते हो?’ उन्होंने जब्दी के पुत्रों की माँ से कहा, तू क्या चाहती है? (व. 21) उन्होंने दो अंधे व्यक्तियों से कहा, ‘तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए करूँ? (व. 32)

एक तरह से यह स्पष्ट था कि उन्हें क्या चाहिए (दूसरे उदाहरण में वे लोग अंधे थे, इसलिए वे देखना चाहते थे), लेकिन परमेश्वर चाहते हैं कि हम सक्रीय रूप से शामिल हों। प्रेरित याकूब कहते हैं कि, ‘तुम माँगते नहीं और तुम्हें मिलता नहीं’ (याकूब 4:2)। यीशु कहते हैं, ‘माँगो तो तुम्हें दिया जाएगा... क्योंकि जो कोई माँगता है उसे मिलता है’ (मत्ती 7:7-8)। इससे यह स्पष्ट प्रतीत होता है, लेकिन उत्तर दी गई प्रार्थना के आरंभिक मुद्दे का  सार वास्तव में माँगना है।

 

दो उत्तर

 

अंधे व्यक्ति की विनती के विषय में यीशु का उत्तर ‘हाँ’ था। ‘यीशु को उनपर दया आई और उन्होंने उनकी आँखों को छुआ। अचानक उन्होंने दृष्टि पाई और उसके पीछे चलने लगे’ (व. 34)।

 

दूसरी ओर यीशु जब्दी के पुत्रों की माँ से प्रभाव में कहते हैं ‘नहीं’। यह प्रतिक्रीया दया से उपजी है। उसकी विनती उनके पुत्रों के लिए महिमा, सामर्थ और समृद्धि के लिए थी।

 

यीशु ने कहा, ‘जो कटोरा मैं पीने पर हूँ, क्या तुम पी सकते हो? (व. 22) पुराने नियम के भविष्यवक्ताओं ने कुछ पद्यांशों में ‘परमेश्वर के क्रोध के कटोरे’ के विषय में लिखा है। (उदाहरण के लिए, यशायाह 51:17-29)

आश्चर्य की बात यह है कि, यीशु यह कटोरा स्वयं पीने के विषय में कहते हैं। ‘वे बहुतों की छुड़ौती के लिए अपना प्राण देनेवाले थे (मत्ती 20:28)। ‘के लिए’ का ग्रीक शब्द है ‘ऐंटी’ है जिसका अर्थ है ‘बदले में’। यह नये नियम का स्पष्ट उदाहरण है जिसे यीशु अपनी मृत्यु के प्रतिस्थापन के रूप में समझाते हैं।

 

दो कारण

 

प्रेरित याकूब लिखते हैं कि, ‘तुम माँगते हो और मिलता नहीं, क्योंकि तुम बुरी इच्छा से माँगते हो’ (याकूब 4:3)। यहाँ निवेदन के पीछे एक अलग प्रयोजन है। दोनों निवेदन को प्रभुत्व के साथ करना है। अंधे व्यक्ति का निवेदन यह पहचानने से है कि यीशु ही प्रभु है और अच्छा पाने की इच्छा से आता है (मत्ती 20:30-33)। दूसरी ओर यीशु संकेत करते हैं कि माँ का निवेदन दूसरों पर प्रभु बनने से आया है (व. 25)।

 

यीशु संकेत करते हैं कि सच्ची महानता दूसरों पर प्रभु बनने से या संसार जिसे सफलता कहता है, उससे नहीं आता (संपत्ति, पद, प्रतिष्ठा या ‘सफल’ सेवकाई होना)। बल्कि यीशु के आदर्शों का अनुकरण करने से आती है, ‘सेवा करें ना कि सेवा कराएँ’ (व. 26-28)। यह वह उदाहरण है जहाँ चेले गलत थे और परमेश्वर ने कहा- ‘बढ़ो’।

 

मैं सोचता हूँ कि मैंने अपने जीवन में उस समय बहुत सीखा जब मुझे मेरी प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं मिला, बजाए इसके कि जब मेरी प्रार्थनाओं का उत्तर ‘हाँ’ में मिला। निश्चित रूप से, चेलों ने बड़ी मात्रा में ‘प्रार्थना का उत्तर’ न मिलने से सीखा है।

 

प्रभु, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि हमने ‘प्रार्थनाओं का उत्तर न मिलने’ से पाठ सीखा है। धन्यवाद करता हूँ कि आपने हमें सच्ची महानता बताई हैं। हमारी सहायता कीजिए कि हम अपना जीवन आपकी सेवा के लिए और दूसरों की सेवा के लिए समर्पित करें।

अय्यूब 15:1-18:21

परमेश्वर कहते हैं ‘इंतज़ार करो’

 

जिन समस्याओं का आप सामना कर रहे हैं, उनके लिए यीशु इसी वक्त प्रार्थना कर रहे हैं, क्या आप जानते हैं?

 

कमजोर अय्यूब अपने मित्रों के उत्तेजना से भरे हुए भाषण को सहन कर रहे थे, जो उन पर दोष लगाए जा रहे थे, और अनुचित ढंग से आरोप लगा रहे थे। अय्यूब उनका वर्णन ‘दु:खी दिलासा देनेवाले’ के रूप में करते हैं (16:2)। उनके ‘लंबे चौड़े भाषण’ (व. 3अ) अय्यूब के लिए किसी भी तरह से मददगार नहीं थे (व. 4)।

 

कुछ लोग अनुचित रूप से विश्वास करते हैं कि अपने जीवन में हमारा संघर्ष हमारे पाप के कारण है, या पुराने जीवन के पाप के कारण है। उसी तरह यदि लोग गरीबी में या अनुवांशिक दोष के साथ जन्मे हैं, तो यह उसकी गलती होनी चाहिए। यह दोष भयानक रूप से व्यर्थ है (बाइबल में पुनर्जन्म के विचार का खंडन किया गया है, इब्रानियों 9:27 देखें)। इसी प्रकार अय्यूब के मित्रों ने उसके विषय में कहा।

 

जब हमारे मित्र संघर्ष कर रहे हों, तो हमें ‘दु:खी दिलासा’ देने से दूर रहना चाहिये (व. 2)। बल्कि, जैसा अय्यूब ने सुझाव दिया कि हम उन्हें प्रोत्साहित करें, ‘दिलासा दें’, और उन्हें मजबूत करें और उनके संघर्षों में उन्हें शांति दें (व. 5 एम.एस.जी और एन.आय.वी)। 

 

एक चीज़ हम हमेशा कर सकते हैं, उनके लिए सिफारिश करना अय्यूब ने कहा:

‘मेरे रक्षक मेरे मित्र हैं, जैसे मेरी आँखों के आँसू परमेश्वर के सामने उमड़ने लगते हैं; मनुष्य की ओर से वह परमेश्वर के साथ बात करते हैं

जैसे एक मितर  अपने मितर  के समर्थन में बोलता है’ (व. 20-21)।

 

हमें बताया नहीं गया कि मध्यस्थ कौन था, लेकिन चाहें यह कोई भी हो, वह अयूब का सच्चा मित्र था क्योंकि वह अयूब के लिए परमेश्वर से विनती कर रहा था।

 

मध्यस्थी का प्रार्थना का उत्तर शायद तुरंत दिखाई नहीं देता, लेकिन अंतत: उत्तर दिखाई दिया जब परमेश्वर ने अयूब का भविष्य फिर से पहले जैसा कर दिया था। अयूब को और अयूब के मध्यस्थ को उनका उत्तर था 'इंतजार करो'’. बाद में अयूब ने दूसरों के लिए मध्यस्थी की थी जिससे उसकी स्थिति तुरंत बदल गई (42:8-10)। 

 

अय्यूब का मध्यस्थ कौन है? अययूसब कहते हैं, ‘अब भी स्वर्ग में मेरा साक्षी है और मेरा वकील ऊपर है’ (16:19)। नए नियम में हम देखते हैं, यीशु ही है ‘जो परमेश्वर के सम्मुख मनुष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं' (16:21 एम.एस.जी)। और जो पिता के पास हमारे वकील हैं’ (1 युहन्ना 2:1, आर.एस.वी) वह आपके लिए मध्यस्थी कर रहे हैं (इब्रानियों 7:24-25)।

 

यीशु अय्यूब के वकील हैं। वे अय्यूब के लिए मध्यस्थी कर रहे थे। यीशु परमेश्वर से विनती कर रहे हैं, जैसे एक मित्र अपने मित्र के लिए करता है’ (अय्यूब 16:21)। हम यहाँ पर अय्यूब और पतरस के अनुभवों में समानता देखते हैं। यीशु ने शमौन पतरस से कहा, ‘शमौन, शमौन, देख शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि तुम्हें गेहूँ की नाई फटके। परंतु मैंने तेरे लिए बिनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे’ (लूका 22:31-32)।

 

जैसा कि जॉन विम्बर कहा करते थे, ‘खुश खबरी यह है कि यीशु हमारे लिए प्रार्थना कर रहे हैं। बुरी खबर यह है कि हमें इसकी जरूरत पड़ेगी’।

 

प्रभु, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आप हमारे वकील होने की प्रतिज्ञा करते हैं। मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि, जब अय्यूब या पतरस की तरह शैतान गेहूँ की तरह मुझे फटकना चाहता है, उस समय आप मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हैं। मैं धन्यवाद करता हूँ कि हम यह जानते हैं, भले ही ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हमें इंतज़ार करने की जरूरत है, स्वर्ग के हमारे वकील की प्रार्थना का उत्तर अंत में 'हाँ' ही है’।

Pippa Adds

पीपा विज्ञापन

 

जब्दी के बेटों की माँ जोर दे रही थी. हम अपने बच्चों के लिए जरूरत से ज्यादा अभिलाषी हो सकते हैं। अपने बच्चों के लिए सही तरह की अभिलाषा और गलत तरह की अभिलाषा होती है। यीशु कहते हैं, 'तुम नहीं जानते कि तुम क्या मांगते हों' (मत्ती 20:22)। हमें अपने बच्चों के लिए परमेश्वर की इच्छा के अनुसार प्रार्थना करना जरूरी है ना कि खुद की विषय सूची के अनुसार।    

References

नोट्स:

बिल हाइबेल्स, टू बिजी नोट टू प्रे. (इंटरवार्सिटी प्रेस, 2008). 

 

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।        

जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

 

जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है। 

इस योजना के बारें में

निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल

यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।

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