निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना

निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल

दिन 34 का 365

तीन प्रकार की विजय

 जोस हेनरीक्वेज़ उन तैंतीस युवाओं में से एक थे जो जमीन के 2300 फुट नीचे फंस गए थे, जब उत्तरी चिली में सॅन जोस तांबे की एक खान का भाग धंस गया था. यह 5 अगस्त 2010 था. सतरह दिनों तक किये गए सारे बचाव प्रयास असफल हो गए. सॅन जोस खान में जीवन का कोई संकेत नजर नहीं आ रहा था. फंसे हुए खनिकों के पास तीन दिन तक के लिए पर्याप्त भोजन और बहुत थोड़ा पानी बचा था. वे लोग भूख से होने वाली मृत्यु की संभावना का सामना कर रहे थे.

मैंने एचटीबी पर जोस हेनिरिक्वेज़ और उनकी पत्नी से मुलाकात पेश की. उन्होंने बताया कि परमेश्वर से एक चमत्कार के लिए उन्होंने किस तरह से प्रार्थना की. उन्होंने उस पल का वर्णन किया, 22 अगस्त को, जब सुरंग में ड्रिल टूट गई जहाँ पर लोग फंसे हुए थे. उन्होंने लोहे की छड़ों से ड्रिल को ठोका. उन्होंने उस पर पेन्ट स्प्रे किया. उन्होंने उसे लपेटा. उन्होंने इससे ऊपर अनेक संदेश भेजे. जब ड्रिल सतह पर वापस गई तो केवल एक ही संदेश लगा हुआ मिला. यह इस प्रकार था, ‘हम ठीक हैं. बचाव स्थान में 33 जन हैं.’  

 इससे पहले कि उन्हें जमीन के नीचे से ऊपर लाया जाए तब तक कुल उनसठ दिन बीत गए थे. एक अरब से भी ज्यादा लोगों ने टीवी पर लाइव बचाव कार्य देखा. यह असाधारण दृश्य था जब इन पुरूषों ने, उनके परिवारवालों ने, चिली के लोगों ने और पूरी दुनिया ने इस आश्चर्यजनक विजय का उत्सव मनाया.  

 विश्वास का जीवन चुनौतियों, परेशानियों और परीक्षाओं से भरा हुआ है. लेकिन इसमें विजय के पल भी आते हैं. आज के इस लेखांश में हम तीन प्रकार की विजय देखते हैं. 

भजन संहिता 18:16-24

1. अपने शत्रुओं पर विजय

 दाऊद ने अपने जीवन में कई युद्ध का सामना किया. वह शुत्रुओं से घिरा हुआ था. ‘वे अधिक सामर्थी थे’ (व.17ब). फिर भी वे परमेश्वर से ज्यादा सामर्थी नहीं थे. परमेश्वर ने उसे उन लोगों से बचाया जो उससे बहुत सामर्थी थे और उसे एक ‘चौड़े स्थान में पहुँचा दिया’ (व.19). ‘उसने मुझ को छुड़ाया, क्योंकि वह मुझ से प्रसन्न था’ (व.19ब).

 यदि इस समय आप एक ‘चौड़े स्थान’ में हैं, तो इसके लिए परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए याद रखिये. यदि नहीं, तो परमेश्वर से विनती कीजिये कि वह आपको बचाएं. यदि आपके परिवार का कोई भी सदस्य या दोस्त इस समय संघर्ष कर रहा है, तो प्रार्थना कीजिये कि परमेश्वर उन्हें एक चौड़े स्थान में ले आए.   

 प्रभु, परमेश्वर मैं आपको उस समय के लिए धन्यवाद देता हूँ जब आपने मुझे गहरे पानी में डूबने से बचा लिया था और मुझे एक चौड़े स्थान में ले आए थे. आज मैं ......... के लिए प्रार्थना करता हूँ कि आप उन्हें एक चौड़े स्थान में ले आएं. 

मत्ती 22:15-46

2. अपने आलोचकों पर विजय

 यीशु के विरोधियों ने यीशु से तीन प्रश्न पूछे: फंसाने वाला प्रश्न, एक कपट से भरा प्रश्न, एक कसौटी प्रश्न (वव.17,23,35). हरबार वह विजयी हुए और ऐसा जवाब दिया जिसने उन्हें न केवल अचंभित (व.22) और विस्मित (व.33) किया, बल्कि इसका प्रभाव पूरे इतिहास पर पड़ा. हम यीशु के उत्तरों से क्या सीख सकते हैं?

 

 अपने जीवन को पवित्र और सासांरिक जीवन में न बाटें

 

फरीसियों ने यीशु को उनके ही शब्दों के जाल में फंसाने की योजना बनाई. उन्होंने यीशु से पूछा: ‘हमें बता तू क्या समझता है? कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं’ (व.17). वे जिस कर के बारे में पूछ रहे थे वह बहुत ही अलोकप्रिय था. यदि यीशु ने ‘हाँ’ कहा होता, तो वह लोगों की नजरों में बदनाम हो जाते. सभी लोगों ने उनसे नफरत की होती और उन्हें रोमियों की मदद करने वाला कपटी समझा होता. 

यदि उन्होंने ‘नहीं’ कहा होता, तो राजद्रोह के अपराधी ठहरते और उन्हें कैद और फांसी की सजा हो सकती थी.

यीशु ने अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता से, नियम और कानून का विरोध नहीं किया बल्कि उन्होंने अनंत सिद्धांतों की व्याख्या भी की. वह अचंभित कर देने वाला उत्तर देते हैं: ‘तब उस ने, उन से कहा; जो कैसर का है, वह कैसर को; और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो’ (व.21).

यीशु के सभी मानने वालों के पास दोहरी नागरिकता है. आपको एक अच्छे नागरिक के रूप में अपने समाज में शामिल व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी निभानी है. 

और इसके साथ-साथ आपको स्वर्गीय नागरिक के रूप में परमेश्वर के प्रति जिम्मेदारी भी निभानी है. सैद्धांतिक रूप से – कैसर और परमेश्वर – के बीच पक्षपात नहीं होना चाहिये. आपको दोनों के अच्छे नागरिक होने के लिए बुलाया गया है. जीवन में अपने समाज में शामिल होइये और इससे अलग मत होइये.

ऐसा नहीं है कि परमेश्वर आपके जीवन के ‘पवित्र’ हिस्से के स्वामी है और सरकार आपके सांसारिक जीवन की. बल्कि आपका पूरा जीवन परमेश्वर के अधिकार के अधीन है. परमेश्वर के प्रति समर्पण का एक हिस्सा सरकार की आज्ञा का पालन वैध तरीके से करना भी है.  जिस तरह से सिक्के पर कैसर की तस्वीर बनी हुई है उसी तरह से आप पर परमेश्वर की तस्वीर बनी हुई है (उत्पत्ती 1:!6). परमेश्वर आपका संपूर्ण जीवन चाहते हैं.  

 आप जानते हैं कि मृत्यु के बाद भी जीवन है

अगला, सदूकियों ने कपटपूर्ण सवाल किया, उस पुरूष के बारे में जिसकी सात पत्नियाँ थीं. क्योंकि सदूकी पुनरूत्थान पर विश्वास नहीं करते, इसलिए उन्होंने कपटपूर्ण जटिल प्रश्न किया यह दिखाने के लिए कि यीशु कितने विवेकहीन हैं (मत्ती 22:23-28). 

'यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि तुम पवित्र शास्त्र और परमेश्वर की सामर्थ नहीं जानते' (व.29). यीशु मूसा की बनाई पाँच पुस्तकों का उपयोग करते हैं (बाइबल की पहली पाँच पुस्तकें – जिस पर सदूकियों  ने भरोसा किया था) यह दिखाने के लिए कि ‘परमेश्वर केवल मरे हुओं का नहीं, परन्तु जीवतों के भी परमेश्वर हैं’ (व.32ब).

वह निर्गमन 3:6 से उन शब्दों का बयान करते हैं जो परमेश्वर ने मूसा से झाड़ियों में दर्शन देते समय कहा था, ‘मैं इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर हूँ’ (मत्ती 22:32अ). जब मूसा ने ये शब्द सुने थे तो अब्राहम, इसहाक और याकूब को मरे हुए सैकड़ों साल हो गए थे. परमेश्वर ने ऐसा नहीं कहा कि, ‘मैं उनका परमेश्वर था’ बल्कि यह कहा कि ‘मैं उनका परमेश्वर हूँ.’ वे अब भी जीवित हैं.  

यीशु यह दर्शा रहे थे कि जीवन इतना ही नहीं है. इसके अलावा, इस जीवन और आने वाले जीवन के बीच भी निरंतरता बनी रहेगी. यह शरीर में फिर से जी उठना है. फिर भी, हमारे लिए एक अंतराल बना हुआ है ‘वे स्वर्ग में परमेश्वर के दूतों की नाईं होंगे’ (व.30). इसके अलावा, पवित्र शास्त्र हमें बताता है कि पुनरूत्थान होगा और यदि परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं, तो हमें वहाँ क्यों नहीं होना चाहिये? 

 परमेश्वर और दूसरों के प्रति प्रेम को प्राथमिकता दें

तब, फरीसी एक कसौटी प्रश्न के साथ आते हैं, जिसका यीशु ने बहुत ही शानदार उत्तर दिया, जो कि संपूर्ण पुराने नियम का केन्द्र है: (‘अपने सारे धन और प्रार्थना और बुद्धि से’) परमेश्वर से प्रेम करो (व.37, एमएसजी), और (‘जैसा तुम अपने आप से प्रेम करते हो वैसा ही) अपने पड़ोसी से प्रेम करो (व.39, एमएसजी). बाकी की सब बातें इन दो आज्ञाओं का विस्तृतीकरण है (वव.34-40).  

 अपने आलोचकों को चुप करने के बाद यीशु ने उनसे एक प्रश्न पूछा. यह प्रश्न उनकी पहचान के बारे में है. यीशु पवित्र शास्त्र से उन लोगों को बताते हैं कि मसीह केवल दाऊद की संतान नहीं है – बल्कि वह दाऊद का प्रभु भी है (वव.41-46). वह साबित करते हैं कि मसीहा महान मानवीय राजा से बढ़कर है, यह उनके लिए यीशु की छिपी हुई पहचान भी है. 

यह यीशु के लिए विजय का पल है: ‘उसके उत्तर में कोई भी एक बात न कह सका; परन्तु उस दिन से किसी को फिर उस से कुछ पूछने का हियाव न हुआ’ (व.46).

 पिता, कृपया मुझे यीशु की जैसी बुद्धि दीजिये ताकि मैं कपट पूर्ण सवालों और कसौटी वाले सवालों के जाल से बच सकूँ.

अय्यूब 30:1-32:22

3. लालसाओं पर विजय

 अयूब की पुस्तक हमेशा के लिए दर्शाती है कि पाप और तकलीफें किसी व्यक्ति के पाप से या पाप की कमी से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित नहीं हैं. अयूब की पुस्तक का पूरा मकसद यह है कि, यद्पि अयूब सिद्ध नहीं था (13:26; 14:17), फिर भी उसकी तकलीफों का कारण अयूब का पाप नहीं था. अयूब 'निर्दोष और खरा था; वह परमेश्वर का भय मानता था और बुराई से दूर रहता था' (1:1). 

 अयूब अपने दोस्तों के लगाए दोषों के बाद यह जानते थे कि उनका विवेक पूरी तरह से साफ है.  यह ऐसा है, ' भला होता कि जो शिकायतनामा मेरे मुद्दई ने लिखा है वह मेरे पास होता! ' (31:35). आज के लेखांश में वह अपनी सफाई देते हैं (व.35).

  अयूब का जीवन एक उदाहरण, एक प्रेरणा और एक चुनौती थी. यह सच्चाई और खराई से जीने की एक आश्चर्यजनक तस्वीर है. 

  अपने आपको पवित्र रखें

उसने कहा, ' मैं ने अपनी आंखों के विषय वाचा बान्धी है, फिर मैं किसी कुंवारी पर क्योंकर आंखें लगाऊं? '(व.1). उसके दिल में व्यभिचार करने का प्रलोभन नहीं था. वह जान गए थे  कि 'व्यभिचार ऐसी आग है जो जला कर भस्म कर देती है,' (व.12).

 भौतिकवाद को टालें

उसने अपना भरोसा धन या बड़ी कमाई पर नहीं रखा था. ना ही उसने अपनी आशा खरे सोने पर रखी थी यह कहते हुए कि, 'तुम मेरी सुरक्षा हो' (व.24). फिर से, वह मन ही मन मोहित नहीं हुआ था (व.27).

 अपने शत्रु से प्रेम करें

उसने अपने शत्रुओं से नफरत करने की इच्छा का प्रतिकार किया था. जब उसके शत्रु परेशानी में थे तब वह आनंदित नहीं हुआ (व.29ब)- जो कि एक शक्तिशाली इच्छा है. क्रोध में आकर कटु शब्द कहने की बहुत इच्छा होती है, परंतु अयूब ने न तो उसे शाप देते हुए, और न उसके प्राणदण्ड की प्रार्थना करते हुए अपने मुंह से अपने शत्रुओं के विरूद्ध पाप किया (व.30).

 उदार रहें

वह सिर्फ अपने वैयक्तिक जीवन में ही पाप से दूर नहीं रहता था बल्कि वह अपने कर्मचारियों के साथ भी खरा था (व.13). उसने कभी भी कंगालों की इच्छा पूरी करने से मना नहीं किया (व.16अ. ). वह यात्रियों के लिए अपना द्वार खुला रखता था (व.32).

 प्रभु, खुद को पवित्र रखने के लिए साफ अंत:करण के साथ जीने में और सिर्फ आप पर भरोसा रखने में मेरी मदद कीजिये. आपको धन्यवाद कि यीशु के क्रूस के द्वारा, आपने मेरे अतीत की असफलताओं को क्षमा कर दिया है और पवित्र आत्मा की सामर्थ के द्वारा मैं लालसाओं पर विजय पा सकता हूँ.  

Pippa Adds

मैं अयूब के आत्मविश्वास से बहुत ही प्रभावित हुआ हूँ कि परमेश्वर उसे निर्दोष पाएंगे (अयूब 31:6). जिस तरह से उसने अपना जीवन बिताया था उसकी वह बहुत ही सूची देते हैं, जिसमें यह भी शामिल है कि उसने खुद के लिए रोटी भी बचाकर नहीं रखी थे (व.17). जब मैं घर पर वापस आकर देखती हूँ कि निकी ने मेरी बनाई हुई सारी चॉकलेट ब्राउनीज़ मेहमानों में बांट दी है तो मुझे जरा भी उदारता महसूस नहीं होती. 

References

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है। 

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

 जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

दिन 33दिन 35

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निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल

यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।

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