निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना

गोपनीय बातें
जब मेरी यीशु से पहली बार मुलाकात हुई, तो मैंने सोचा कि मुझे विश्वास के बारे में हरएक प्रश्नों के जवाब पता होने चाहिये. मगर मैंने बाइबल का जितना ज्यादा अध्ययन किया, उतना ही मैंने जाना कि हमें हरएक बातों का जवाब देना जरूरी नहीं है. ऐसी बातें भी हैं जो फायदेमंद अज्ञेयवाद या जिसे बाइबल आधारित अज्ञेयवाद के रूप में उल्लेखित किया जा सकता है.
कुछ प्रश्न ऐसे हैं जिनका जवाब हम जानते हैं. लेकिन कुछ और अन्य प्रश्न भी हैं जिनका सबसे अच्छा जवाब हम यह दे सकते हैं कि, 'हमें नहीं पता.' गोपनीय बातें हमारे प्रभु परमेश्वर से संबंधित हैं, लेकिन जो बातें प्रगट हैं वह हमारी हैं (व्यवस्थाविवरण 29:29अ).
हमें उन बातों के बारे में स्पष्ट होना जरूरी हैं जिनके बारे में बाइबल स्पष्ट हैं. आप जो जान सकते हैं उसके बारे में अज्ञेयवादी न बनें. समान रूप से, जिन बातों के बारे में बाइबल अज्ञेय है उनके बारे में कट्टर न बनें.
आज के लेखांश में हम बड़े प्रश्नों के तीन उदाहरण देखेंगे जिन्हें बारबार पूछा जाता है. इन प्रश्नों के उत्तर ऐसे हैं जिन्हें हम कुछ जानते हैं, और कुछ नहीं जानते.
भजन संहिता 18:37-42
मेरे लिए भविष्य में क्या रखा है?
जब वह एक छोटी बच्ची थी, कोरी टेन बूम, (एक डच मसीही जिसने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान यहूदियों को नाज़ीयों से छुड़ाने में मदद की थी), अपने पिता के पास गई और कहा, 'डैडी, मुझे डर है कि मैं कभी भी पर्याप्त मजबूत नहीं बन पाऊँगा...... यीशु मसीह के लिए.' 'मुझे बताइये' उसके पिता ने कहा, 'जब तुम एम्स्टर्डम में ट्रेन यात्रा पर जाती हो, तब मैं तुम्हें टिकट के लिए पैसे कब देता हूँ? क्या तीन सप्ताह पहले?' 'नहीं, डैडी, आप मुझे ट्रेन में घुसने से थोड़ी देर पहले टिकट के लिए पैसे देते हैं.' 'यह ठीक है,' उसके पिता ने कहा, 'वैसे ही परमेश्वर की सामर्थ के लिए भी है. स्वर्ग में हमारे पिता जानते हैं कि तुम्हें सामर्थ की कब जरूरत पड़ेगी... वह तुम्हारी जरूरतों को सही समय पर पूरा करेंगे.'
परमेश्वर ने दाऊद को उसके सभी शत्रुओं पर विजय दिलायी. जब दाऊद पलटकर इन युद्ध को देखते हैं, तो वह कहते हैं कि, ' तू ने युद्ध के लिये मेरी कमर में शक्ति का पटुका बान्धा है;' (व.39). ये आखिरी शत्रु नहीं थे जिनसे दाऊद लड़ने वाले थे. आगे और भी युद्ध होने वाले थे.
हम क्या नहीं जानते
दाऊद की तरह आपको भी नहीं पता कि आगे कौन सा युद्ध होने वाला है. फिर भी, हम में ज्यादातर लोगों के लिए, यह जानना शायद मददगार होगा कि आगे कौन सा युद्ध होने वाला है.
हम क्या जानते हैं
जैसा कि कहा जाता है, 'दाऊद बस इतना जानता था कि जिस तरह से परमेश्वर ने पहले उसकी कमर में शक्ति का पटुका बांधा था उसी तरह से भविष्य में भी करेंगे' (व.39). आप सिर्फ इतना जान लें कि जब भी आपको जरूरत होगी परमेश्वर आपको आवश्यक सामर्थ देंगे.
प्रभु, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि मैं विश्वास कर सकता हूँ कि पवित्र आत्मा मुझे आने वाले युद्ध के लिए सही समय पर मेरी कमर में शक्ति का पटुका बांधेंगे.
मत्ती 24:32-25:13
यीशु कब वापस आएंगे?
इस लेखांश में यीशु उनके वापस आने के बारे में कहते हैं – दूसरे आगमन के बारे में. वह कहते हैं इस बारे में कुछ खास बातें हैं जिसे हमें जानना जरूरी है और कुछ बातें हैं जिन्हें हम नहीं जानते. ('तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा......' 24:42-43, एमएसजी).
हमें क्या नहीं जानना है?
यीशु पूरी तरह से स्पष्ट करते हैं कि कोई नहीं जानता कि वह वापस कब आएंगे. वह कहते हैं, 'उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता' (व.36). कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिसके लिए स्वयं यीशु को कहना पड़ा (जब वह धरती पर थे) कि, 'मैं नहीं जानता.'
यीशु के वापस आने का सही समय जानने के लिए बहुत सारा धन और समय खर्च किया गया. हमें यह जानने की जरूरत नहीं है कि यीशु कब वापस आएंगे, बल्कि हमें 'सावधान रहने' की जरूरत है (व.42). यह एक रहस्य की बात है (व्यवस्थाविवरण 29:29अ) जिसे सिर्फ परमेश्वर जानते हैं.
हमें क्या जानना है?
यीशु कहते हैं, 'अंजीर के पेड़ से यह दृष्टान्त सीखो: जब उस की डाली कोमल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो, कि ग्रीष्म काल निकट है' (मत्ती 24:32). यीशु कहते हैं जब हम इन संकेतों को देखेंगे तो हम जान जाएंगे कि यीशु का आगमन निकट है. इसलिए हमें सचेत रहना है (वव.42; 25:31) और तैयार रहना है (24:44).
हमें यह भी जानना है, हालाँकि उनका आना निकट है, फिर भी उनके आने में बहुत समय लग सकता है (25:5). और हमें यह भी जानना है कि वह किसी भी पल आएंगे ' क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो,' (24:44). जब भी वह आएंगे वह एक आश्चर्य होगा और मुख्य बात यह है कि हमें हर पल उनके लिए तैयार रहना है.
यह देखने के लिए कि हमें उनके पुनर्आगमन के लिए तैयार रहना है, यीशु हमें एक बुद्धिमान सेवक और दुष्ट सेवक के बीच फर्क की तस्वीर बतलाते हैं. बुद्धिमान सेवक अपने स्वामी के प्रति विश्वासयोग्य बने रहकर और उसके निर्देशों का पालन करके और दूसरों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करने के द्वारा अपने स्वामी के वापस आने के लिए हमेशा तैयार रहता है. दुष्ट सेवक अपने स्वामी निर्देशों के प्रति वफादान नहीं होता और वह दूसरों के साथ आपत्तीजनक व्यवहार करता है. निष्कर्ष काफी तुलनात्मक है (व. 47 की तुलना व. 51 से करें). दूसरे शब्दों में, यदि ऐसा आप परमेश्वर से और दूसरों से प्रेम करते हुए अपना जीवन बिताएंगे, तो आप यीशु के पुनर्आगमन के लिए तैयार रहेंगे.
फिर भी परमेश्वर से प्रेम करने और दूसरों से प्रेम करने के अंतर्गत एक मुख्य तत्व है जिसका मतलब है यीशु के पुनर्आगमन के लिए तैयार रहना. दस कुवारियों के दृष्टांत में, दूल्हा उन कुंवारियों से कहता है जो सो गई थीं और तैयार नहीं थी, कि 'मैं तुम्हें नहीं जानता' (25:12). यहाँ हम देखते हैं कि मुख्य कुंजी विभिन्न तरह की बातो को जानना है. यह विवेक संबंधी ज्ञान नहीं है बल्कि यह व्यक्तिगत ज्ञान है.
मूलभूत रूप से यह उस बारे में नहीं है कि आप क्या जानते हैं, बल्कि उस बारे में है कि आप किसे जानते हैं. यह दूल्हे के साथ व्यक्तिगत संबंध रखने के बारे में है. अंत में, यीशु को जानना अन्य बातों से ज्यादा महत्वपूर्ण है. यीशु कहते हैं, ' और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जाने' (यूहन्ना 17:3).
प्रभु, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं आपको जानता हूँ. आपको हरदिन और भी बेहतर रीति से जानने में मेरी मदद कीजिये.
अय्यूब 38:1-40:2
परमेश्वर कष्ट क्यों आने देते हैं?
जब हम अयूब की पुस्तक के अंत में पहुँचते हैं, अनेक अध्यायों में अयूब और उसके दोस्तों द्वारा परमेश्वर से सवाल करने के बाद, स्थिति बदल जाती है, और परमेश्वर सवाल करने लगते हैं, इस लेखांश का वर्णन 'अयूब की अंतिम परीक्षा' के रूप में किया जा सकता है. उसकी परीक्षा में अनेक प्रश्न हैं जिनके जवाब वह नहीं जानता था.
हम अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 'परमेश्वर कष्ट क्यों आने देते हैं' के जवाब में हम कुछ बातों को जानते हैं, और कुछ बातों को नहीं जानते. अयूब के दोस्तों के बारे में प्रभु की शिकायत यह है कि 'उन्होंने अज्ञानता की बातें की हैं' (38:2). बजाय कहने कि 'मुझे नहीं पता', उन्होंने अयूब की तकलीफों का वर्णन करने का प्रयास किया, वह भी वास्तविक जवाबों को जाने बिना.
हम क्या नहीं जानते
परमेश्वर उससे (काव्यात्मक भाषा में) प्राकृतिक सृष्टि के बारे में उनचास प्रश्न करते हैं, और यदि उसे अवसर दिया जाता, तो वह निश्चित रूप से कहता कि, 'मैं नहीं जानता.' बहुत से प्रश्न ' क्या तू जानता है....?' से शुरू होते हैं (वव.33; 39:1-2). यह लगभग ऐसा है जैसे परमेश्वर अयूब के साथ प्यार से छेड़खानी कर रहे थे. वह उससे कहते हैं, 'तू निश्चय ही जानता है!' (38:5) और ' यदि तू यह सब जानता है, तो बतला दे' (व.18).
परमेश्वर द्वारा प्रश्न पूछने का मकसद यह है कि कुछ बाते ऐसी हैं जिन्हें हम मानवीय दृष्टि से जानते – 'गोपनीय बातें' हमारे प्रभु परमेश्वर के अधिकार में हैं. यह खासकर कष्ट उठाने के मामले में सही हैं. धर्मशास्त्री और दर्शनशास्त्री सदियों से दु:ख उठाने की समस्या से जूझ रहे हैं और अब तक कोई भी आसान और संपूर्ण समाधान नहीं ढूँढ पाए हैं.
जब आप दु:ख उठाते हैं तो आप हमेशा क्यों का पता लगाने में सक्षम नहीं रहते. परमेश्वर ने अयूब को कभी नहीं बताया कि वह क्यों दु:ख उठा रहा है (हालाँकि इस पुस्तक के आरंभ से ही हम इसका जवाब आंशिक रूप से जानते हैं), लेकिन परमेश्वर ने उसे नहीं बताया कि इसके पीछे एक अच्छा कारण है. उन्होंने अयूब को बताया कि वह सच में सृष्टि के बारे में बहुत कम जानता है और उसे कहा कि वह परमेश्वर पर भरोसा करे.
अयूब की पुस्तक इस बारे में नहीं है कि परमेश्वर ने इतना दु:ख क्यों आने दिया, बल्कि इस बारे में है कि आपको कैसी प्रतिक्रिया करनी चाहिये. तकनीकी और सैद्धांतिक शब्दों का प्रयोग करने के लिए, दु:ख के समय में परमेश्वर की भलाई और उनके न्याय की तुलना में परमेश्वर का प्रगट होना ज्यादा देखा गया है.
हम क्या जानते हैं
कल के लेखांश में हम देखेंगे कि अयूब जान जाता है कि कुछ बातें हैं जिनका जानना उसके लिए बहुत ही आश्चर्यजनक है (42:3). दूसरे शब्दों में, कुछ बाते हैं जिन्हें आप इस जीवन में कभी नहीं जान पाएंगे. दूसरी तरफ, कुछ बातें हैं जिन्हें आप जान सकते हैं, ' मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है,' (व.2).
आप जान सकते हैं कि सबकुछ परमेश्वर के नियंत्रण में है और इसलिए यह भरोसा करते हुए शांति और विश्वास से जी सकते हैं कि जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं उनके लिए सारी बातें मिलकर भलाई को ही उत्पन्न करती हैं (रोमियों 8:28).
प्रभु, मैं जानता हूँ कि आप सबकुछ कर सकते हैं और आपका कोई भी उद्देश्य नाकाम नहीं हो सकता. जिन बातों को मैं नहीं जानता उनके प्रति विनम्र रहने और जिन बातों को मैं जानता हूँ उनके प्रति विश्वासपूर्ण रहने के लिए मेरी मदद कीजिये.
Pippa Adds
पीपा विज्ञापन
मत्ती 24:44
' इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा '
कभी-कभी, जब मैं किसी की अपेक्षा नहीं करता और घर में कोई मीटिंग नहीं होनी होती है, तब मैं विचलित रहता हूँ और अपना नाश्ता ठीक से नहीं कर पाता और सबकुछ गड़बड़ा जाता है. तब दरवाजे की घंटी बजती है और कोई अनपेक्षित आगंतुक आ जाता है. मैंने खुद को चीजों को डिशवाशर में और फ्रिज के पीछे फेंकते हुए पाया है. तैयार न रहने के दु:ख को मैं जानता हूँ. जब यीशु वापस आएंगे तो यह कितना भयंकर होगा. वह साफ सुथरे घर को नहीं ढूँढ रहे हैं, बल्कि वह तैयार जीवन को ढूँढ रहे हैं. इसके लिए लगातार कार्य करने की जरूरत है.
References
नोट्स:
कोरी टेन बूम (1974)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
इस योजना के बारें में

यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।
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