निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबलनमूना
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आप परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, भयानक आक्रमणों के दिनों में एक पिता अपने छोटे बेटे का हाथ पकड़े हुए एक इमारत से दूर भाग रहे थे जिस पर बम गिराया गया था. आंगन के सामने एक खंदक था. जितना जल्दी हो सकें वे एक छिपने का स्थान तलाश कर रहे थे. पिता उस खंदक में कूद गए और अपनी बाहें ऊपर की ओर फैला दी ताकि उनका बेटा उनका अनुकरण करे. वह भयभीत था फिर भी अपने पिता की आवाज सुन रहा था जो उसे कूदने को कह रहे थे, लड़के ने जवाब दिया, 'मैं आपको देख नहीं सकता!'' पिता ने बेटे की रूपरेखा देखी और कहा, 'लेकिन मैं तुम्हें देख सकता हूँ, कूदो!' लड़का कूद गया क्योंकि उसने अपने पिता पर भरोसा किया था. दूसरे शब्दों में, वह उनसे प्रेम करता था, उसने उनपर विश्वास किया था, उसने भरोसा किया था और उसे उन पर विश्वास था.
बाइबल में 'विश्वास', मुख्य रूप से अपना भरोसा किसी एक व्यक्ति पर रखना है. इस संदर्भ में यह प्रेम करने जैसा है. सभी प्रेममय संबंधों में भरोसे के कुछ अंश शामिल होते हैं. विश्वास पर विश्वास करना यानि उनपर भरोसा करना है, जिससे हमारे बाकी के सभी संबंध परिवर्तित हो जाते हैं.
नीतिवचन 3:21-35
1. प्रभु में निडर रहें
क्या आप आत्मविश्वास से भरे व्यक्ति हैं? यदि ऐसा है, तो यह आत्मविश्वास कहाँ से आता है? क्या यह वहाँ से आता है जो आप काम करते हैं या जो अधिकार आप रखते हैं? क्या यह आपकी शिक्षा, आपका रूप, खेलने की क्षमता या किसी और कौशल से आता है? क्या यह उससे आता है जो दूसरे आपके बारे में सोचते हैं?
इन बातों में कुछ भी गलत नहीं है. 'आत्मविश्वासी' रहें, (व.26अ, एएमपी), लेकिन अंत में आपका विश्वास 'प्रभु' की ओर से ही आना चाहिये. ऐसा संभव हो सकता है कि आपके पास इन में से कोई भी वस्तु न हो मगर फिर भी आपका आत्मविश्वास बना रह सकता है.
नीतिवचन के लेखक कहते हैं, 'प्रभु तेरा विश्वास बनेगा' (26अ, एएमपी). आपके विश्वास का विषय एक व्यक्ति है, जो प्रभु हैं. जिन पर आप सभी बातों के लिए पूर्ण रूप से भरोसा कर सकते हैं. यह 'आत्मविश्वास भरोसा' (व. 23, एएमपी) आपके जीवन के तरीके को बदल देगा. यह आपको देगा:
बुद्धि
मूर्ख 'आत्मविश्वासी होता है', लेकिन जो प्रभु में विश्वास रखता है वह बुद्धिमान होता है: ' खरी बुद्धि और विवेक की रक्षा कर,
22 तब इनसे तुझे जीवन मिलेगा,' (व.21). बुद्धि, खरा न्याय और विवेक परमेश्वर के साथ घनिष्ठता से चलने से आता है.
शांति
यदि आप में शांति नहीं है, तो काम की सफलता में, धन और प्रसिद्धि का कोई मूल्य नहीं है. शांति परमेश्वर के साथ सही संबंध बनाए रखने से आती है. शुद्ध विवेक जैसा नरम कोई तकिया नहीं है: ' जब तू लेटेगा, तब भय न खाएगा, जब तू लेटेगा, तब सुख की नींद आएगी। अचानक आने वाले भय से न डरना' (वव.24-25अ). चाहें कुछ भी हो जाए आपको डरने की जरूरत नहीं है, आप परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं कि वह आपके साथ हैं, और सब कुछ उनके नियंत्रण में है.
भलाई
' जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना' (व.27). भलाई करने के हरएक अवसर को जाने मत दीजिये; यदि किसी की सहायता करने के लिए आपकी क्षमता है, तो इसमें देरी न करें' (व.28).
प्रेम
' यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा' (व.28).
घनिष्ठता
'प्रभु..... अपना भेद सीधे लोगों पर खोलता है' (व.32). जब प्रभु हमारा आत्मविश्वास हैं, तो वह हमें अपने आत्मविश्वास में ले जाते हैं. यह परमेश्वर की घनिष्ठता अद्भुत प्रतिरूप है: 'उनकी गोपनीय सहभागिता और उनके गुप्त सुझाव' (व.32अ).
नम्रता
परमेश्वर नम्र लोगों पर अनुग्रह करते हैं (व34ब), यदि आपका आत्मविश्वास प्रभु पर भरोसा करने से आता है, तो आपके पास घमंड करने का कोई कारण नहीं होगा. परमेश्वर आप को अनुग्रह देने, आशीष देने और सम्मान देने का वायदा करते हैं (वव.33-35).
प्रभु, विश्वास का जीवन जीने के लिए मेरी सहायता कीजिये – आपके साथ घनिष्ठता से चलने और अपना भरोसा और विश्वास आप पर रखने के लिए.
मत्ती 21:18-32
2. यीशु पर विश्वास करें
यीशु कहते हैं, 'यदि तुम विश्वास करो और संदेह न करो----- तो यह हो जाएगा.' (व.21). यहाँ उत्तर है 'विश्वास करो..... विश्वास करो...... विश्वास करो' (वव.22,25,32). यह वह शब्द है जो तीन पक्षों को एकसाथ पकड़े हुए है, अन्यथा वे एक दूसरे में प्रकट रूप से भिन्न हैं.
अपने विश्वास का पोषण करें और आपका संदेह भूखा मर जाएगा
यीशु कहते हैं, 'जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से मांगो वह सब तुम को मिलेगा' (व.22). यदि आप प्रभुत्व के जीवन को अंगीकार करें और परमेश्वर पर संदेह न करें, तो आप केवल छोटे काम ही नहीं करेंगे – जैसा मैंने अंजीर के पेड़ के साथ किया था – बल्कि आप छोटे से लेकर बड़ी रूकावटों पर भी विजयी होंगे, जब आप इसे विश्वास की प्रार्थना का हिस्सा बनाएंगे और जब आप परमेश्वर को पकड़े रहेंगे तो इसमें शामिल होंगे (वव.21-22, एमएसजी).
आज ही कोशिश करें. माँगें. विश्वास करें, उसके बाद परमेश्वर पर भरोसा करें.
अपने कार्यों द्वारा विश्वास को व्यक्त करें
अंजीर का पेड़ वह नहीं कर रहा था, जो उसे करना चाहिये था – यानि फल लाना. दृष्टांत में दूसरा पुत्र वह नहीं करता जो उसे करना चाहिये था – यानि अपने पिता के निर्देशों का पालन करना (व.28-31). उसी तरह से धार्मिक गुरू वह नहीं कर रहे थे जो उन्हें करना चाहिये था – यानि यीशु में विश्वास करना.
वे यीशु में विश्वास करने के बजाय यीशु से उनके अधिकारों के बारे में पूछते हैं, 'तू ये काम किस अधिकार से करता है? और तुझे यह अधिकार किस ने दिया है?' (व.23). यीशु यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के बारे में प्रश्न पूछते हुए जवाब देते हैं, जो यह दर्शाता है कि धार्मिक गुरू यूहन्ना के बपतिस्मा पर विश्वास करने में असफल रहे हैं. तब वे आपस में विवाद करने लगे, कि यदि हम कहें स्वर्ग की ओर से, तो वह हम से कहेगा, फिर तुम ने उस की प्रतीति क्यों नहीं की? (व.25).
धार्मिक गुरूओं का विश्वास विचार करने और वाद विवाद करने पर था और वे उस व्यक्ति को चूक गये जिस पर विश्वास करना जरूरी था – यीशु.
विश्वास द्वारा परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना
यीशु धार्मिक गुरूओं की तुलना चुंगी लेने वालों और वैश्याओं से से करते हैं जिन्होंने 'मन फिराया था और उन पर विश्वास किया था' (व.32).
चुंगी लेने वालों और वैश्याओं को सबसे तुच्छ समझा जाता था ('बदमाश और आवारा', व. 32, एमएसजी), फिर भी यीशु ने कहा, क्योंकि उन में कई लोगों ने उन पर विश्वास किया है, इसलिए वे परमेश्वर के राज्य में पहले प्रवेश करेंगे.
मैंने देखा है कि 'खरे' नजर आने वाले लोग अक्सर यीशु में दिलचस्पी नहीं लेते. वे इनकी जरूरत महसूस नहीं करते. दूसरी तरफ, मैं कैदियों और अपराधियों की ग्रहणशीलता और आत्मिक भूख देखकर अक्सर विस्मित हो जाता हूँ. कारावास में जाने के बाद ही मैं समझ पाया कि यीशु को अपना समय अधिकारहीन लोगों के साथ बिताना क्यों अच्छा लगता था. वे ही लोग थे जो यीशु के प्रति सबसे ज्यादा उत्साह दिखाते थे.
यह बड़े प्रोत्साहन की बात है कि भले ही अतीत दुराचार से भरा हो, और आपके किसी भी विचार या शब्द या कार्य ने आपको परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने में मदद नहीं की हो. पर कुछ भी आशा से परे नहीं है. दृष्टांत के पहले पुत्र के समान, आपको सिर्फ अपना हृदय और मन बदलने और वह करने की जरूरत है जो पिता कहते हैं (व.29). सिर्फ मन फिराएं और यीशु में विश्वास करें.
प्रभु, धन्यवाद कि जिस पल मैंने अपना मन फिराया और आप पर विश्वास किया, उसी पल मैंने परमेश्वर के राज्य में प्रवेश किया है. आपको धन्यवाद, आपने कहा है कि: 'जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से मांगोगे वह सब तुम को मिलेगा' (व.22).
अय्यूब 22:1-24:25
3. जब विश्वास किया जाए तो भरोसा बनाए रखें
अयूब के जीवन में क्या चल रहा है वह नहीं जानता था फिर भी उसने परमेश्वर पर भरोसा करना सीखा. विश्वास यानि परमेश्वर पर भरोसा करना है, जब आपके पास सभी उत्तर न हों तब भी.
जब हम मुश्किल घड़ी में से गुजरते हैं तब अक्सर विश्वास की परीक्षा होती है. एक बार फिर, इस लेखांश में हम अयूब और उसके दोस्तों के बीच ध्यान देने योग्य फर्क देखते हैं. एलीपज का भाषण गलत परोक्ष संकेतों से भरा हुआ था. इस तरह से अयूब को बहुत दु:ख पहुँचा होगा. एलीपज ने उस पर गलत दोष लगाया था कि उसने कंगालों, भूखों और विधवाओं के साथ बुरा व्यवहार किया था. उसने कहा, 'अयूब इसीलिए कष्ट में है' (22:10). सच्चाई से परे कुछ नहीं है.
एलीपज का सिद्धांत एक तरफा और बेकार था: ' परमेश्वर से मेलमिलाप कर तब तुझे शान्ति मिलेगी; और इस से तेरी भलाई होगी' (व.21). लेकिन जीवन उससे भी ज्यादा पेंचीदा है.
तुलनात्मक रूप से, अयूब वर्णन से बाहर और निर्दोष दु:ख की असली दुनिया से संघर्ष कर रहा था. फिर भी शोक और पीड़ा के बीच वह विश्वास से भरा हुआ था (23:2). अयूब के जीवन में सबकुछ गलत हुआ था. परमेश्वर कोसों दूर नजर आ रहे थे (' भला होता, कि मैं जानता कि वह कहां मिल सकता है', व.3अ)
जैसा कि जॉयस मेयर लिखती हैं, 'यदि आप जीवन के इस मुकाम में हैं जहाँ कुछ भी मायने नहीं रखता, तब भी परमेश्वर पर भरोसा कीजिये. और खुद से कहिये, 'अवश्य ही यह परीक्षा होगी.'
अयूब ने कहा, 'और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूंगा' (व.10 ब). सोने को बारबार गरम करके और गन्दगी अलग करके तब तक परखा जाता है जब तक कि सुनार का प्रतिबिंब इस में दिखने नहीं लगता. अपनी भयंकर यातना के बीच में, अयूब ने परमेश्वर पर भरोसा किया कि वह भलाई के लिए उसका उपयोग करेंगे और वह ज्यादा शुद्ध और पवित्र होकर उभरेगा. किसी तरह से वह परमेश्वर को पकड़े रहा:
' मेरे पैर उसके मार्गों में स्थिर रहे; उसकी आज्ञा का पालन करने से मैं न हटा. और मैं ने उसके वचन अपनी इच्छा से कहीं अधिक काम के जान कर सुरक्षित रखे' (वव.11-12).
जब हम अयूब के जीवन को देखते हैं, तो हम पाते हैं कि संघर्ष से ताकत बढ़ती है, चुनौतियों से साहस बढ़ता है और घावों से बुद्धि परिपक्व होती है. जब परमेश्वर ने अयूब की परीक्षा ली तो उसका विश्वास शुद्ध सोने की तरह उभर गया.
प्रभु, मुश्किल घड़ी में जब मैं शुद्ध करने वाली अग्नि में डाला जाऊँ, तो मुझे आप पर विश्वास और भरोसा बनाए रखने में और सोने के समान निकलने में मेरी मदद कीजिये (व.10ब). मुझे जीवन का हरदिन भरोसे और आत्मविश्वास के साथ जीने में मदद कीजिये.
Pippa Adds
जब मैं बाइबल पढ़ता हूँ तो मैं सामान्यत: प्रोत्साहित करने वाले वचनों को ढूँढता हूँ. मैं अक्सर इन वचनों पर नजर दौड़ाता हूँ जैसे ' कुछ लोग अनाथ बालक को माँ की छाती पर से छीन लेते हैं, और दीन लोगों से बन्धक लेते हैं' (अयूब 24:9). यह बड़े दु:ख की बात है कि ऐसा आज भी हो रहा है. बच्चों को 'छीनकर' वैश्यालयों में बेचा जा रहा है. बच्चे, स्त्री और पुरूष गुलामी में पड़े हुए हैं. अब मुझे ऐसा लगता है कि चाहें कैसे भी हो मुझे भयंकर अन्याय के विरूद्ध खड़ा होना चाहिये और लड़ना चाहिये.
References
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।
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अपने दिन Bible in One Year के साथ शुरू करें जो कि निकी और पिप्पा गंबेल की टिप्पणी के साथ लंदन के HTB चर्च से एक बाइबल पठन की योजना है।. हम इस योजना को प्रदान करने के लिए निकी और पिपा गंबेल, एचटीबी का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://alpha.org