परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्रानमूना
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गलातियों - अब मैं नहीं
हम यह सुनते हैं,जानते हैं,गाते हैं और बोलते हैं। लेकिन क्या हम वास्तव में इसके अनुसार जीते हैं?जैसे ही हम अपने पुराने जीवन को दफन करते हैं,वह बार बार कूदकर बाहर आता है। पौलूस मूल्यांकन करने के कुछ बिन्दुओं को देकर हमें याद दिलाना चाहता है कि हम कहां पर खड़े हैं।
पौलुस कहता है कि यहूदी लोग अपनी परंपराओं को अन्यजातियों पर थोपने के लिए प्रचलित तरीकों का शोषण कर रहे हैं। मसीहीयत का अर्थ हमारे जीवन का मसीह के ही इर्द-गिर्द घूमना है- न कुछ इससे अधिक और न इससे कम।
एक नया जीवन
अब मैं नहीं परन्तु यीशु मेरे जीवन में (गलातियों2:19,20)
हमारा सर्वाधिक बुरा शत्रु शैतान नहीं है। बल्कि वह हम हैं। हम ही अपने विकास को रोकते और शैतान को फिर से आजाद होकर शासन करने देते हैं। हम ही मसीह को बाहर निकाल देते हैं। पाप के आदि होकर हम बार बार उन्हीं राहों पर चलने लगते हैं। हमें पाप को खत्म करने के लिए हमें पाप उस लत को छोड़ने के उन कष्टदायी लक्षणों से होकर फिर से गुज़रना पड़ता है। और यहीं पर मसीह का प्रकाश चमकता है।
अब मनुष्यों का नहीं वरन मसीह का सुसमाचार (गलातियों1:6,11,12)
वे भ्रमित में थे और भटक गये थे। गलातियों1:7; 3:2। जब अगुवे अपने केन्द्र बिन्दू से भटक जाते हैं,तो लोग उनकी धुनों पर नाचते हैं और उन्हें शुद्ध सुसमाचार से और अधिक विचलित होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। अत्यधिक संख्या में लोग मनोबल बढ़ाने वाले संदेशों का आनन्द उठाने के लिए जमा होते हैं। मलिनता बिकती है और पवित्रता खत्म होती चली जाती है। पौलुस अपने आप को ऐसी सार्वजनिक परिस्थिति में पाता है जहां पर उसे महान प्रेरितपतरसका सामना करना पड़ता है (गलातियों2:14)। हमें सत्य को पहिचानने,उसकी घोषणा करने और उससे जुड़े रहने की ज़रूरत है चाहे हम इस राह में अकेले ही क्यों न रह जाएं।
मेरे काम नहीं वरन मेरा विश्वास (गलातियों2:15,16 6:14)
गतिविधियां हमें बोध कराती हैं कि हम प्रगति कर रहे हैं। हमें उपलब्धि प्राप्त करने का एहसास होता है। लेकिन एकमात्र उपलब्धि जिसे हम श्रेय दे सकते हैं वह स्वयं मसीह हैं। परमेश्वर इस बात में रूचि नहीं रखते कि हम उसके लिए क्या करते हैं। वह इस बात में दिलचस्पी रखते हैं कि हम कौन हैं।
आत्मिक बीज बोएं
बहुतायत से फसल काटें (गलातियों5:22)
मेरी इच्छा नहीं वरनपवित्रआत्मा की इच्छा पूरी हो
नये संदर्भ में प्रगति,हृदय में होने वाले परिवर्तन अर्थात“आत्मा के फलों”से नापी जाती है (गलातियों5:22-24)।“अच्छी दौड़ दौड़ने पर”हमें उपलब्धी प्राप्त होती है। पौलुस पूछता है कि“किस ने तुम्हें रोक दिया है”
सच्ची विरासत
यह एक सौभाग्य है कि हमः
§ अब अन्यजाति नहीं वरन उसके वारिस हैं (गलातियों3:8)
§ अब गुलाम नहीं वरन उसके बेटे हैं (गलातियों3:24,25; 4:7,2:4)
बहुत से जाजूस हैं जो कब्ज़ा करने की ताक में हैं (गलातियों2:4);बहुत से प्रभावशाली तत्व हमारे आस-पास और हमारे भीतर हैं जो हमें पथभ्रष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं;क्या हम घातक आकर्षणों का विरोध कर सकते हैं?
कलीसिया के भीतर प्रभावशाली होने वाला खतरा“झूठे भाई और बहनें”क्या है?हम नये जीवन और सच्ची विरासत को बचाए रखने के लिए कौन सा बीज बो सकते हैं?कौन से बीज इस खतरे में डालते हैं?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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क्या हमारा जीवन मसीह से मुलाकात करने के बाद लगातार बदल रहा है? हम जीवन के परे सम्पत्ति को कैसे बना सकते हैं? हम कैसे आनन्द, सन्तुष्टि और शान्ति को हर परिस्थिति में बना कर रख सकते हैं? इन सारी बातों को वरन कई अन्य बातों को पौलुस की पत्री में सम्बोधित किया गया है।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए Bella Pillai को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://www.bibletransforms.com/