परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्रानमूना
फिलिप्पियों- मसीह का स्वभाव
एक रूपान्तरित मन में ही मसीह के पथचिन्हों का अनुसरण करने की योग्यता होती है। पौलुस फिलिप्पियों और हमें उत्साहित करता है“कि हम में यीशु मसीह का सा स्वभाव हो”(फिलिप्पियों2:5)। इस स्वभाव के अलग अलग पहलू निम्नलिखित हैं।
विनम्र स्वभाव
मसीह के समान हम भी निम्न तरीकों से उसकी विनम्रता को प्रगट करने के लिए बुलाए गये हैंः
· आज्ञाकारितों के द्वारा (फिलिप्पियों2:8)-जो मौत के सामने नहीं झुका
· कष्ट सहने के लिए तैयार (फिलिप्पियों3:10,1:29)-इस प्रक्रिया में“उसके पुनरूत्थान की सामर्थ्य को हासिल करना।
· संकेन्द्रित होकर – सकारात्मक आचरण और परमेश्वर के वचनों को थामकर (फिलिप्पियों2:14,15);मसीह को जानने के बहुमूल्य धन को प्राप्त करने के लिए मानसिक रूप से अपनी उपलब्धियों और लाभ को कचरे में डालकर (फिलिप्पियों3:8);हमारे जीवन में उसकी उत्कृष्ट योजना को पूरा करने की इच्छा और योग्यता प्राप्त करते हुए (2:12); “निशाने की ओर”दौड़ना (फिलिप्प्यिों3:13,14)।
सामंजस्यपूर्ण मन
हम अपने गुणों,विचारधाराओं,खुशियों और संघर्ष के साथ सबसे अलग प्राणी हैं। इसलिए छोटे से छोटे झुण्ड के अन्दर सोहार्द या सामंजस्य बैठाना एक बहुत बड़ी चुनौति होती है। फिर भी हमें कई चीज़ों में सामंजस्य बैठाने के लिए बुलाया गया हैः
§ समान सोच में - समान,प्रेम,एकजुट आत्मा,एक मन और एक साथ मिलकर संघर्ष करना इत्यादि। (फिलिप्पियों1:2,27)।
§ उदारता – विश्वास के साथ काम करने वाले सच्चे कार्यकर्ताओं का समर्थन करने में उदारता दिखाएं जैसे फिलिप्पियों ने पौलुस का समर्थन किया जब वहकुरिन्थमें था। (फिलिप्पियों4:18,19)।
आनन्दित मन
तकनीक,विलासता,मनोरजंन,मीडिया इत्यादि में उन्नति होने के बावज़ूद संसार आनन्दित होता हुआ नज़र नहीं आ रहा है। बल्कि इन चीज़ों ने आनन्द को छीन लिया है। कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी आनन्द अपनी मूल अवस्था में बना रहता है। आनन्द बना रहता हैः
§ विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक- बेमन स्वीकृति नहीं वरन आत्मविश्वास के साथ भरे उत्साह में। पौलुस बेड़ियों में भी आनन्दित होता है। (फिलिप्पियों1:14;4:4)।
§ हर परिस्थिति में संतुष्ट रहता है – घटी में,बहुतायत में,भूख में,कमीं में। इस क्षमता को प्राप्त किया जा सकता है।“मैं मसीह के द्वारा सबकुछ कर सकता हूं जो मुझे सामर्थ्य प्रदान करता है।”फिलिप्पियों4:13। इस वचन को प्रायः गलत समझा जाता है,इसका अर्थ कुछ हासिल करने की सामर्थ्य नहीं है वरन सहने की सामर्थ्य से है।
शान्त मन
आनन्द के अलावा,शान्ति की भी बहुतायत से खोज की जाती है। एक शान्त दिमागः
§ नम्र होता है- प्रत्यक्ष और सुनिश्चित (फिलिप्पियों4:5)
§ तनाव रहित - जो नम्रता का परिणाम होता है। प्रार्थना तनाव मुक्त होने ही असरदार दवा है। (फिलिप्पियों4:6,7)
§ प्रार्थना से पूर्ण- (फिलिप्पियों4:6)यह एक ऐसी रीति हैं जिसमें हम चीज़ों को परमेश्वर के हाथों में सौंप देते हैं।
§ सुन्दर विचारों से परिपूर्ण होते हैं- जो सत्य,आदरणीय,उचित,पवित्र,सुहावने,मनभावने,सदगुण और प्रशसां करने योग्य होते हैं। (फिलिप्पियों4:8)।
हमें आनन्द,शान्ति,सोहार्द और दृढ़ता को प्राप्त करने के लिए अपने जीवन में किन बदलावों को करने की ज़रूरत है?हम किन चुनौतियों का सामना करते हैं और हम कैसे उन पर जय पाते हैं?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
क्या हमारा जीवन मसीह से मुलाकात करने के बाद लगातार बदल रहा है? हम जीवन के परे सम्पत्ति को कैसे बना सकते हैं? हम कैसे आनन्द, सन्तुष्टि और शान्ति को हर परिस्थिति में बना कर रख सकते हैं? इन सारी बातों को वरन कई अन्य बातों को पौलुस की पत्री में सम्बोधित किया गया है।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए Bella Pillai को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://www.bibletransforms.com/