मरूस्थल से प्राप्त शिक्षाएंनमूना

मरूस्थल से प्राप्त शिक्षाएं

दिन 5 का 7

अनुशासित बने रहने के लिए प्रशिक्षण

जब हम किसी खेल को देखते हैं तब हम देख पाते हैं कि धावक या खिलाड़ी किस प्रकार अपने उस गहन प्रशिक्षण के आधार पर प्रदर्शन करता है जो उसने पर्दे के पीछे प्राप्त किया होता है। हर एक खिलाड़ी का प्रशिक्षण उसके खेल के हिसाब से अलग होता है। उन्हें केवल जीतने के लिए ही नहीं वरन अपने जीवन में अनुशासित रहने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है। उन्हें प्रतिदिन निर्धारित घण्टे प्रशिक्षण में बिताने के साथ साथ सावधानी से तैयार किया भोजन खाना पड़ता है। इन चीज़ों से समझौता नहीं किया जा सकता। मसीहियों का यह प्रशिक्षण प्रायः मरूस्थल या उजाड़ भूमि पर ही होता है। हमें परिपक्वता में बढ़ने तथा जिन कामों को करने के लिए परमेश्वर ने हमें बुलाया या बनाया है उन्हें पूरा करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

जिन प्रशिक्षणों से होकर हम गुज़रते हैं,उससे हमारा जीवन अनुशासित होता है। मरूस्थल हमें हर दिन को आलोचनाओं के चश्में से देखने पर मज़बूर करता है। हम अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनुशासन की कमी को महसूस करते हैं। परमेश्वर हमारे आत्मिक जीवन में अनुशासन को पुनर्जीवित करना चाहते हैं।

आत्मिक अनुशासन प्रायः परमेश्वर और आपके इर्द गिर्द ही घूमता है। नये लोगों के लिए साशय और नियमित होने की ज़रूरत है। प्रत्येक सुबह एकान्त में एक औसत बिताना प्रारम्भ करने के लिए एक अच्छा स्थान है। हालांकि हमेशा ही ऐसा करने जरूरी नहीं है। लेकिन परमेश्वर के वचन को पढ़ने, प्रार्थना करने और उसे आपसे बातें करने के लिए समय अलग व निर्धारित करने का अवसर देने के आत्मिक अनुशासन का मसीही जीवन के हर दौर में होना अति महत्वपूर्ण है। मरूस्थल इन कदमों को उठाने और उन अनुशासनों का पालन करने के लिए सबसे उत्तम स्थान है। भजन संहिता 81अपने लोगों के प्रति परमेश्वर की इच्छा को व्यक्त करता है कि वे उसकी जीवनदायक विधियों को सुनें। और जब हम उनका पालन करते हैं तब वह अर्थात परमेश्वर हमें आशीष और विजय प्रदान करने की प्रतिज्ञा करते हैं।

एक और महत्वपूर्ण अनुशासन जिसे आपको अपने साप्ताहिक सारणी में जोड़ना है वह एक दिन विश्राम का है। सबत का दिन उस सर्वज्ञानी परमेश्वर के द्वारा ठहराया गया जिसे निश्चय तौर पर पता था कि पूरे सप्ताह काम करने के बाद में हमारी आत्मा, प्राण और देह को पुनः स्वस्थ होने के लिए कितने आराम की ज़रूरत पड़ेगी। इन अनुशासनों को केवल नियमित विधियों के तौर पर स्थापित नहीं किया गया था परन्तु इसे परमेश्वर के साथ गहन वार्ता करने के लिए बनाया गया था।

यदि मरूस्थल के बीच में हम इन आत्मिक अनुशासनों को विकसित नहीं करते हैं, तब इस बात की संभावना है कि हम आने वाले समय में कभी इन्हें विकसित नहीं कर पाएंगें।

दिन 4दिन 6

इस योजना के बारें में

मरूस्थल से प्राप्त शिक्षाएं

मरूस्थल एक अवस्था है जिसमें हम खुद को भटका,भूला और त्यागा हुआ महसूस करते हैं। लेकिन इस उजड़ेपन में रूचीकर बात यह है कि यह नज़रिये को बदलने,जीवन रूपांतरित करने और विश्वास का निर्माण करने वाली होती है। इस योजना के दौरान मेरी प्रार्थना यह है कि आप इस जंगल से क्रोधित होने के बजाय इसे स्वीकार करें और परमेश्वर को आप में कुछ उत्तम कार्य करने दें।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए क्रिस्टीन जयकरन को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.instagram.com/christinegershom/