मरूस्थल से प्राप्त शिक्षाएंनमूना

मरूस्थल से प्राप्त शिक्षाएं

दिन 7 का 7

आत्म समर्पण मरूस्थल में विजय प्रदान करता है

यदि किसी से यह प्रश्न पूछा जाता कि कौन सा ऐसा उपाय है जिससे मरूस्थल के अनुभव को जीवन में कम किया जा सकता है, तो शायद इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं मिलता। मरूस्थल की अवधी कुछ सप्ताहों से लेकर कुछ वर्षों तक हो सकती है, और यह अवधी हमारी प्रवृति और हमारे हृदय की अवस्था पर निर्भर करती है। यदि हम कठोर हृदय वाले, अपने ही तौर तरीकों में अटल तथा परमेश्वर के मार्गों की चिन्ता करने वाले हैं तो संभवतः हम अपने आप को लम्बे समय तक इस दौर में पा सकते हैं। लेकिन अगर हम अपने आपको परमेश्वर व उसके मार्गो के प्रति समर्पित कर दें, तो हम जहां भी हो वहीं विजय देखना प्रारम्भ कर देते हैं।

आत्म समर्पण का अर्थ अपने जीवन के हर क्षेत्र में स्वेच्छा से परमेश्वर की इच्छा को स्वीकार कर लेना होता है। इसका अर्थ हमारे जीवन की परिस्थितियों में परमेश्वर के हस्तक्षेप को स्वीकार करना, हमारे जीवन के हर क्षेत्र में उसे आमन्त्रित करना तथा हमारे जीवन के प्रत्येक निर्णय में उसे सर्वोच्च अधिकार देना।

आत्म समर्पण करना कठिन कार्य प्रतीत होता है क्योंकि हमें बनाया ही इस तरह से गया है कि हम खुद से जुड़ी चीज़ों पर नियन्त्रण रखें और आगे बढे़ं। इसके अन्तर्गत, हमें सचेत अवस्था में स्वयं को पीछे रखकर, परमेश्वर को हमारे जीवन में, हमारे साथ और हमारे द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने की स्वतन्त्रता प्रदान करनी पड़ती है।

आत्मसमर्पण का अर्थ सब कुछ छोड़कर बैठ जाना नहीं है वरन सारी चीजों को परमेश्वर के श्रेष्ठ हाथों में सौंपना है। यह कोई कमज़ोरी का लक्षण नहीं है वरन यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर दृढ़ता से विश्वास करना है। यदि आप अभी किसी मरूस्थल से होकर गुज़र रहे हैं, तोक्या आप इस प्रार्थना को करना चाहेगें?

प्रार्थना:

प्रेमी स्वर्गीय पिता - मैं इस मरूस्थलीय दौर के लिए आपका धन्यवाद करता हूं। अब मैं देख सकता हूं कि मैं वास्तव में कौन हूं और मैं इस बात को देखकर हैरान हूं कि आप अब भी मुझसे इतना प्रेम करते हैं कि आपने मुझे बचाने के लिए अपने पुत्र को इस संसार में भेज दिया। इस दौर में मेरे आस पास सब कुछ टल गया लेकिन आप अभी भी अटल और सुनिश्चित परमेश्वर बने रहे, इसके लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं। संदेहपूर्ण और भययुक्त बातें बोलने और वैसी ही प्रतिक्रिया करने के लिए मुझे क्षमा करें। अगर मेरे मुंह से आपके खिलाफ कोई गलत बात निकली हो तो मुझे क्षमा करें। अब मैं जान गया हूं कि सारी बातें मिलकर मेरे लिए भलाई को उत्पन्न करती हैं। मैं अब जान गया हूं कि आप मुझे अगले दौर के लिए तैयार कर रहे हैं। मैं अपने आप को पूरी रीति से आपके हाथों में सौंपता हूं ताकि आपकी इच्छा मुझमें पूरी होने पाए। मैं आपका हूं। मुझे अपने समीप बनाएं रखें। मुझसे इस तरह बातें करें कि मैं आपकी बातों को समझ सकूं। होने दें कि मैं वह बन जाऊं जो आप मुझे बनाना चाहते हैं।

यीशु के नाम में मांगता हूं।

आमीन

दिन 6

इस योजना के बारें में

मरूस्थल से प्राप्त शिक्षाएं

मरूस्थल एक अवस्था है जिसमें हम खुद को भटका,भूला और त्यागा हुआ महसूस करते हैं। लेकिन इस उजड़ेपन में रूचीकर बात यह है कि यह नज़रिये को बदलने,जीवन रूपांतरित करने और विश्वास का निर्माण करने वाली होती है। इस योजना के दौरान मेरी प्रार्थना यह है कि आप इस जंगल से क्रोधित होने के बजाय इसे स्वीकार करें और परमेश्वर को आप में कुछ उत्तम कार्य करने दें।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए क्रिस्टीन जयकरन को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.instagram.com/christinegershom/