“जेवी तुमु उपास केरहू, ते कोपटीन होस उदासने गेत नाय जुवी, काहाकाय ता आपणो मूय उतार रेणू, काहाकाय ताह माणहे उपास केरीह केरीन ओल्खी. मी तुमूह खेरीच केथु, का ताह तान फोल जुड जाईल हि. पुण तू उपास केरही तेवी आपणा मुंडाह तेल लागाड एने मूय धोव, तान केरता तू माणहाह उपास देखाडी मां, पुण आपणो आबुक जो गुप्तमाय हि, तुवाह दिखेन तुवाह फोल आपी.”